
भारत में सूर्य ग्रहण का डेट और टाइम
भारत में ये सूर्य ग्रहण दिन में 2 बजकर 29 मिनट से आरंभ हो जाएगा और लगभग 4 घंटे 3 मिनट तक चलेगा. इस बार सूर्यास्त होने के बाद भी ग्रहण होगा. शाम 6 बजकर 32 मिनट पर ग्रहण की समाप्ति होगा।
सूतक कब लगेगा
इस बार 25 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण लग रहा है। सूर्य ग्रहण शाम 4:42 बजे से 5:222 बजे तक रहेगा। इससे 12 घंटे पहले ग्रहण का सूतक काल शुरू हो जाएगा। यानी 24 अक्टूबर से ही सूर्य ग्रहण शुरू हो जाएगा। सूतक काल में मंदिरों के कपाट बंद रहते हैं। Surya Grahan 2022
ग्रहण का किन राशियों पर प्रभाव पड़ेगा
इस वर्ष तुला राशि पर सूर्यग्रहण है। विभिन्न राशियों पर प्रभाव इस प्रकार होंगे। मेष राशि: स्त्री पीड़ा, वृष: सौख्य, मिथुन: चिन्ता, कर्क: व्यथा, सिंह: श्रीप्राप्ति, कन्या: क्षति, तुला: घात, वृश्चिक: हानि , धनु: लाभ, मकर: सुख, कुम्भ: माननाश, मीन: मृत्यतुल्य कष्ट।
सूर्य ग्रहण के दिन क्या करें और क्या नहीं
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क्या करें
घरों में लोग ग्रहणकाल में धूप-अगरबत्ती जलाकर रखें, ऐसा करने से नकारात्मक चीजें घर से बाहर निकलती है।
खाने-पीने की चीजों में में ग्रहण काल से पहले तुलसी के पौधे के पत्ते को डाल दें।
प्रभु का ध्यान करें।
घर से बाहर ना जाएं।
किसी गरीब को दान दें, ऐसा आप ग्रहण खत्म होने के बाद भी कर सकते हैं। Telegram Join
क्या ना करें
ग्रहणकाल में तुलसी के पौधे को ना छूए और ना ही सोए।
ग्रहणकाल में कैंची का प्रयोग न करें, फूलों को न तोड़े, बालों औरकपड़ों को साफ न करें, दातुन या ब्रश न करें, गाय, भैंस व बकरी का दोहन न करें।
खाना ना खाएं।
भगवान की मूर्तियों को हाथ ना लगाएं।
संभोग ना करें।
झगड़ा ना करें।
बुराई ना करें।
शुभ काम ना करें।
यात्रा ना करें।
उधार ना दें।
गर्भवती महिलाएं घर से बाहर ना निकलें।
दिवाली पर शुभ मुहूर्त कब है?
इस साल कार्तिक माह की अमावस्या तिथि 24 और 25 अक्टूबर दोनों दिन पड़ रही है। लेकिन 25 अक्टूबर को अमावस्या तिथि प्रदोष काल से पहले ही समाप्त हो रही है। वहीं 24 अक्टूबर को प्रदोष काल में अमावस्या तिथि होगी। 24 अक्टूबर को निशित काल में भी अमावस्या तिथि होगी। इसलिए इस साल 24 अक्टूबर को ही पूरे देश में दीवाली का पर्व मनाया जाएगा। Surya Grahan 2022
दिवाली पर शुभ मुहूर्त में लक्ष्मी-गणेश की पूजा विधि पूर्वक की जाती है। पहले कलश को तिलक लगाकर पूजा आरम्भ करें। इसके बाद अपने हाथ में फूल और चावल लेकर मां लक्ष्मी और भगवान गणेश का ध्यान करें ध्यान के पश्चात भगवान श्रीगणेश और मां लक्ष्मी की प्रतिमा पर फूल और अक्षत अर्पण करें। फिर दोनों प्रतिमाओं को चौकी से उठाकर एक थाली में रखें और दूध, दही, शहद, तुलसी और गंगाजल के मिश्रण से स्नान कराएं। इसके बाद स्वच्छ जल से स्नान कराकर वापस चौकी पर विराजित कर दें।